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दिसंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चन्दन धूप से आरती ऐसे करें [Chandan Dhoop Aarti]

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बहुत से लोग नै वर्ष की शुरुवात गणेश पूजन से करना चाहते हैं| आइये उन्हें हम आज बताते हैं कि किस तरह से हम गणेश पूजा कर सकते हैं घर पे और दुकान में जिससे पुरे वर्ष हमारे ऊपर कोई संकट न आये| यहाँ हम गणेश जी कि पूजा के ऊपर यह दिखा रहे हैं पर ऐसा नहीं है कि यह पूजा गेवाल गणेश जी प्रतिमा या छवि के साथ ही कर सकते हैं, आप चाहे तो अपने अपने भगवान या इष्टदेव के साथ भी यह पूजा कर ही सकते हैं| बस ध्यम यह रखे कि जब किस पूजा में चन्दन लाल रंग के हो किस पूजा में पीले और किस पूजा में श्वेत चन्दन इस्तेमाल करें| अगर आप गणपति जी पूजा कर रहे हैं तो लाल चन्दन ही इस्तेमाल करें अगर आप विष्णु भगवान की पूजा कर रहे हैं तो पीले चन्दन इस्तेमाल करें और अगर आप शिव जी की पूजा कर रहे हैं तो श्वेत चन्दन ही इस्तेमाल करें| गणपति पूजा के लिए अक्षत, लाल चन्दन, लाल रंग के पुष्प और आरती के लिए धूप और दीप भी रख ले और साथ में ही प्रसाद के रूप में जो भी चादन चाहते हैं तो वह भी चढ़ा चढ़ा सकते हैं अपने पसंद के अनुसार| आप चाहे तो पंचोपचार पूजा या पंचोपचार आरती भी कर सकते हैं| गणपति पूजा में जवा कुसुम के फूल, लाल चन्दन, बेलपत्त...

दोनों धुनुची में करें धूप और आरती [Dono Dhunuchi se karen dhoop aur aarti]

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वैसे तो हम एक ही धुनुची या धूपची से आरती करते हैं और भगवान को धूप के रूप में निवेदन भी करते हैं पर अगर देखा जाये तो हमेशा दो धुनुची ही उपयोग करना चाहिए| वैसे आरती के दीपक और जलाने के दीपक हम अलग अलग जलाते हैं पर आरती के धूप और निवेदन के धूप हम अलग नहीं देते एक ही धुनुची से निवेदन और आरती दोनों ही करते हैं| असल में जो धूप हम पूजा के लिए चढ़ाते हैं उन्हें वह नैवेद्य के रूप में चढ़ाते हैं जो कि भगवान को सुगंध लेने के लिए चढ़ाते हैं और आरती के लिए जब हम धूप से आरती करते हैं तो एक तरह से हमारे प्राणवायु के माध्यम से भगवान की आरती करते हैं जैसे पंचमुखी दीपक भी हमारे पांच इन्द्रिय और अंतर तेज के प्रतीक है| आप जब भी पूजा करें तो दो धुनुची जरूर जलाय एक भगवान को निवेदन करने के लिए और दूसरा आरती करने के लिए| धुनुची में धूप हमेशा धूना, गुग्गुल कपूर से ही जलानी चाहिए| अगर आप पीतल के धुनुची जलाते हैं तो वह सबसे ज्यादा सही होता है| हमेशा धुनुची साफ करके यानि मांज के ही इस्तेमाल करें इससे सकारात्मक ऊर्जा बानी रहती है| धूप निवेदन के समय एक धुनुची को आरती के जैसे दिखते हुए उसे निवेदन करें और फिर आरती ...

अगर घर पे कुछ भोग के न हो तो कैसे करें पूजा [Bina bhog ke bhi kayse puja karen]

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बहुत से समय हमारे घर हम पूजा करते हैं पर घर पे भोग पे चढ़ाने के लिए कोई वास्तु नहीं होती है| इस कारन कई समय हम पूजा करते करते यह सोचने लगते हैं कि शायद हमारी पूजा सम्पूर्ण ही नहीं होगी| पर  सच कहे तो भोग चढ़ाना बस पूजा कि एक अंग मात्रा है सम्पूर्ण पूजा बिलकुल भी नहीं है इसलिए अगर आप भोग में कुछ न भी चढ़ा पाए तो ऐसा मानने की कोई जरुरत नहीं है कि आपकी पूजा अधूरी है| अगर आपके घर पे कुछ चढ़ाने को नहीं है तो सिर्फ जल ही आप भगवान को चढ़ा सकते हो और साथ में धूप-डीप से आरती जरूर करें| कहते हैं आरती करने से अपने चाहे कैसे भी पूजा क्यों ना किया हो वह सम्पूर्ण पूजा ही मणि जाती है| कहते हैं पूजा में सबसे जरुरी भाग इसलिए आरती ही है इसलिए आप भोग के बारे में उतना ना सोचे और जल प्रसाद के रूप में चढ़ाकर ही आप बस आरती करें| अगर आप खली जल नहीं देना चाहते तो उसमे तुलसी या कपूर डालके भी अर्पण कर सकते हैं|  हम धूप पूजा के बारे में बहुत से बार बताते हैं और इस बार भी यही कहेंगे कि धूप पूजा भी आप कर सकते हो अगर आप भोग या बहुत सारे सामग्री के साथ पूजा नहीं कर पा रहे हो| धूप पूजा भी एक सम्पूर्ण पूजा...

भोग लगाते समय भगवान के सामने धूप जरूर जलाके रखे [Bhog lagate samay jalay Dhoop]

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वैसे तो हम भोग लगाने के बाद आरती करते है या फिर ऐसे ही भोग लगते हैं पर क्या आप जानते हैं कि भोग लगाने के समय धूप जलाके रखना बहुत ही जरुरी है| इसके बारे में वैसे कई सरे मत है पर कहाँ जाता हैं कि कई तरह के गंध भोग के खाने को प्रभित करते हैं और भोग के सुंगंध को बिगाड़ देता है इसलिए भोग लगाते समय धूप जरूर जलाय| धूप से मतलब धुनुची धूप से ही है नाकि कोई अगरबत्ती से| अगर आप दोपहर के समय भगवान को भोग लगा रहे हैं तो भगवान के सामने अच्छे से थाली में सब कुछ सजाकर रखे उसके बाद जल और हैट धोने के लिए जल भी जरूर रखे| भोग निवेदन करते हुए धूप जलाय और फिर धूप और दीप से आरती करें| जबतक आप भोग भगवान के सामने रखेंगे तब तक धूप जलाकर ही रखे| अगर हो सके तो पर्दा लगाकर दे या फिर अगर न भी लगाय तो भी कोई समस्या नहीं है| भगवान गंध से भोग लगाते हैं और हमारे लिए भोग को प्रसाद कर देते हैं| अगर आपके घर केवल वही खाना बनता है जो आप भगवान को भोग में चढ़ाते हैं तो भगवान को लगया हुआ भोग आप अपने खाने में मिला दे और प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण कर करे परिवार के सब सदस्य मिलके| अगर आप घर पे भोग नहीं बना पा रहे हैं तो भी कोई ...

पूजा में चन्दन और पुष्प चढ़ाकर ही धूप दिखाय [Puja me chandan aur pushp dikhakar dhoop dikhay]

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पूजा के समय धूप दिखाना या चढ़ाना एक विशेष परंपरा तो है पर क्या हम इसके सही से और सठीक क्रम के साथ पालन करते हैं| घर पे वैसे तो हम रोज पूजा और आरती करते ही है पर उसके साथ साथ किस सामग्री के बाद किस सामग्री को निवेदन करना होगा यह भी जानना बहुत ही जरुरी है जैसे अगर हम पूजा के शुरू में ही धूप दिखा दे या फिर भोग लगा दे तो यह बिलकुल भी सही कार्य नहीं होता है क्यों के हम भगवन को अपने परिवार का ही सदस्य मानते हैं इसलिए जैसे हम एक क्रम के बाद दूसरे क्रम को करते हैं उसी तरह से ही भगवान की सेवा पूजा करनी चाहिए|  पूजा शुरू करने के सबसे पहले इसे आप चन्दन जल या तुलसी जल या गंगा जल का उपयोग करें और भगवान के ऊपर थोड़ा थोड़ा छिड़क दे इसके बाद भगवान को तिलक करें यानि चन्दन और सिंदूर या हल्दी  जिसे भी आप तिलक लगते हैं उससे तिलक जरूर करें उसके बाद भगवान को पुष्प चढ़ाय और पुष्प माला भी चढ़ाय अगर आप शिव पूजा कर रहे हैं या गणपति पूजा कर रहे हैं तो बेलपत्ते और दूर्वा भी जरूर चढ़ाय इस दौरान| इसके बाद गन्धपुष्प के साथ अक्षत अर्पण करें जिसे एक तरह से अर्घ्य भी कहा जाता हैं| अब धूप प्रज्वलित करें या फिर पह...

पूजा में प्रसाद का होना या न होना कितना जरुरी [Puja me prasad ka hona ya na hona]

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पूजा करने के लिए कई सारे उपकरण की जरुरत हमे होती ही है पर जैसे धूप, दीप, चन्दन, पुष्प, अक्षत इत्यादि| अगर आप बहुत कुछ न भी चढ़ाय तो भी कम से कम धूप दीप पूजा के लिए रखना जरुरी है ही| पर बहुत से लोग एक सवाल हमेशा ही करते रहते हैं कि क्या पूजा के लिए प्रसाद यानि कोई खाद्य वस्तु चढ़ाना जरुरी है? अगर पूजा के विशेषज्ञ और जानकारों की माने तो पूजा में प्रसाद चढ़ाना जरुरी नहीं होती है किसी खाद्य वास्तु के रूप में पर पूजा में किसी वास्तु को नैवेद्य के रूप में चढ़ाना जरुरी होता ही है| नैवेद्य का मतलब बिलकुल भी यह नहीं होता है कि कोई फल या खाने की सामग्री पूजा में आपको जो चढ़ाना सबसे पसंद है आप उसे नैदैव्य के रूप में चढ़ा सकते हैं जैसे घी के दीपक या गुग्गुल के धूप या धुनुची धूप या फिर केवल जल भी नैवेद्य के रूप में चढ़ा सकते हैं| पूजा और आरती के बाद यह सारे सामग्री प्रसादी हो जाती है और इसे आप प्रसाद के रूप में ही ग्रहण कर सकते हैं पर इसके लिए अलग से कोई खाद्यवस्तु चढ़ाने की जरुरत बिलकुल भी नहीं है|  प्रसाद हर कोई अपने पसंद के अनुसार ही दे सकते हैं और साथ ही भोग प्रसाद के रूप में भी अपने सामर्थ के...

क्या मोमबत्ती से आरती करना उचित है? [Aarti With Candle right or wrong]

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आरती करने के लिए धूप और दीप का इस्तेमाल सबसे सही और उत्तम बताया गया है पर आजकल अपने काम के व्यस्तता के चलते बहुत से लोग आरती के लिए मोमबत्ती जलाते हैं दिए की जगह पर| इस बारे में बहुत से लोगों का कहना है की उनके पास उतना समय नहीं होता हैं कि वह धुनुची और पंचप्रदीप या तक कि एक दीपक जलाकर भी पूजा कर पाए पर अगर हम मोमबत्ती और अगरबत्ती से पूजा कर रहे हैं तो वह पूजा के वातावरण को नष्ट तो करता ही है साथ में घर में भीतर कई ज्यादा कार्वनडाई-ऑक्साइड भी उत्पादन करता है जो सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होता हैं| इस बारे में जब आपके पास पर्याप्त समय हो तभी आप पूजा और आरती करें और धूप-दीप जलाय चाहे वह सुबह के समय हो या फिर वह रात के समय हो| बस कुछ विषय का ध्यान रात के पूजा में रखना होता है जैसे कि सूर्य देव की पूजा रात के समय नहीं की जाती है और रात के आरती के समय कभी भी शंख या फिर घंटी न बजाय| इस तरह कुछ चीजों का ध्यान रखने आप भोर के समय या फिर रात के समय भी पूजा कर सकते हैं| हरबरी में पूआज करना और धूप के जगह पर अगरबत्ती या फिर दीप के जगह पर मोमबत्ती जलना बिलकुल भी सही नहीं होता है| आरती करने के ल...

हवन धूप क्या है और कैसे इसे पूजा में प्रयोग करें [Havan Dhoop Puja Aarti]

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हवन धूप यानि हवन सामग्री जिससे हम हवन करते हैं उससे धूप प्रज्वलित करना| अगर आप ने कभी धूप आरती देखे होंगे तो अपने यह जरूर महसूस किया होगा कि धूप कि खुशबु पुरे बातावरण को बदल देता है यह धूप असल में हवन धूप होता है| हवन सामग्री जिससे हम हवन करते हैं वह सारे के सारे चीजें भेषज उपादान होती है जिसमें कोई केमिकल इस्तेमाल नहीं की जाती है| आप दशांग धूप के अलग अलग वास्तु को घर पे लेकर हामान डिस्टा में पीस कर भी हवन धूप बना सकते हैं और अगर आपको सारे सामग्री न मिले तो आप धूना यानि राल के साथ गुग्गुल मिलाकर भी धूप कर सकते हैं| आजकल हवन करने की रोज सबके पास समय नहीं होती है इसलिए उसके जगह अगर आप घर पे हवन धूप दोबार जलाएंगे और आरती करेंगे साथ में ही डीप जलाकर भी आरती करेंगे तो बहुत ही अच्छी और सुगंधमय बातावरण घर पे बानी रहेगी जो की एक आध्यात्मिक यानि की पॉजिटिव ऊर्जा आपको देती रहेगी| आप हवन धूप घर पे जब भी जाली तब पुरे घर पे ही इसे करें पर अपने खिड़किओं को खोल कर ही रखे नहीं तो कई सटे बहुत ज्यादा धुआँ कमरे की भीतर हो जाती है जो कुछ लोगों के लिए असुबिधाजन होती हैं जिन्हे स्मोक एलर्जी है, पर अगरबत...

पंच उपचार पूजा के निवेदन मंत्र [Panch Upchar Puja ke Nivedan Mantra]

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हम पंच उपचार पूजा किस तरह से करते हैं इस बारे में पहले ही ब्लॉग लिख चुके हैं पर आज जानेंगे कि पंच उपचार के वस्तुओं को चढ़ाने के लिए किस तरह से मन्त्र का प्रयोग किया जाता है| जैसे कि आप सभी जानते हैं कि पंच उपचार में मूलत गंध, पुष्प, अक्षत, धूप और दीप निवेदन करनी होती है| एक एक करके आइये जानते हैं| यहाँ पर हम धूप मंत्र को विस्तार से बताएँगे ताकि अगर आपको धूप पूजन करना हे केवल तो आप इस मंत्र का उपयोग कर सकते हैं| गंध (चन्दन) एतस्मै गंधाय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें) एत गंधपुष्पेगंधाय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे) एष गन्धः अमुक देवताय और देव्यै नमः| पुष्प (फूल) एतस्मै पुष्पाय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें) एत गंधपुष्पे पुष्पाय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे) एतद पुष्पं अमुक देवताय और देव्यै नमः| अक्षत (अरवा चावल) एतस्मै अक्षताय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें) एत गंधपुष्पे अक्षताय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे) एतद अक्षतः अमुक देवताय और देव्यै नमः| धूप (धुनुची धूप) एतस्मै धूपाय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें) एत गंधपुष्पे धूपाय नमः| ...

पूजा में कैसे करें चन्दन का इस्तेमाल [Chandan puja ke liye]

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वैसे तो पूजा में हम चन्दन के इस्तेमा करते ही है पर आज हम यहाँ आप को बाटेंगे की सही तरीके से पूजा के समय किस तरह से करें चन्दन का इस्तेमाल| चंदन को सबसे शीतल और मनको शांत करनेवाला मन जाट है इसलिए हम ललाट पर चन्दन का टिका लगते हैं| चन्दन के लेप अगर हल्दी के साथ लगाकर स्नान करें तो उससे चहेरे पर भी एक अच्छा सा निखार आ जाता है| पर पूजा के लिए हर तरह के अलग अलग चन्दन इस्तेमाल किया जाता है| वैसे तो चन्दन तीन तरह में मूल होते हैं १) श्वेत चन्दन (सफ़ेद रंग के चन्दन) २) हरि चंदन (पीले रंग के चन्दन) ३) रक्त चन्दन (लाल रंग के चन्दन)|  हर चन्दन हर पूजा के लिए नहीं होती है| जैसे की हम श्वेत चन्दन से ही ज्यादातर पूजा करते हैं कुछ जगह पर केवल हरिचंदन से यह पूरी तरह से गलत नहीं है पर पूरी तरह से सही प्रक्रिया भी नहीं है| जैसे भगवान शिव और दूसरे ज्यादातर देवता के पूजा में और सरस्वती पूजा में श्वेत चन्दन ही चढ़ाया जाता है| हरी चन्दन विष्णु और लक्ष्मी पूजन में चढ़ाया जाता है और शालिग्राम पूजा में खास कर| श्री हरि विष्णु के किसी भी रूप की पूजा में केवल हरि चन्दन और तुलसी पत्र से ही पूजा की जाती है| ...