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जनवरी, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

धूपपात्र की पूजा ( Dhoop Patra Pujanam )

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धूपपात्र की पूजा- ॐ गन्धर्वदैवत्याय धूपपात्राय नमः इस प्रकार धूपपात्र की पूजा कर स्थापना कर दें। 

श्रीश्री जानकीरघुनाथ धुनुची धूप आरती & पंचदीप आरती [ Janki Raghunath Dhoop Panchpradeep Aarti ]

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धुनुची धूप आरती : एतस्मै बं आरात्रिक धूपाय नमः|  एते गंध पुष्पे आरात्रिक धूपाय नमः| एते गंध पुष्पे एतद अधिपतये देवाय श्री विष्णवे नमः| एते गंध पुष्पे एतद सम्प्रदानाय श्रीश्री जानकीरघुनाथाय नमः|  " ॐ वनस्पति रसो दिव्यो गन्धाढ्यः सुमनोहरः |  मया निवेदिता भक्त्या धूपोहयं प्रतिगृह्यताम|| "  एष आरात्रिक धूपः श्रीश्री जानकीरघुनाथाय निवेदयामि| पंचदीप आरती : एतस्मै बं आरात्रिक दीपमालाय नमः|  एते गंध पुष्पे आरात्रिक दीपमालाय नमः| एते गंध पुष्पे एतद अधिपतये देवाय श्री विष्णवे नमः| एते गंध पुष्पे एतद सम्प्रदानाय श्रीश्री जानकीरघुनाथाय नमः| " ॐ कार्पसवर्तिसंयुक्तं घृतयुक्तं मनोहरम| तमोनाशकरं दीपं गृहाण परमेश्वर-परमेश्वरि|| "  एष आरात्रिक दीपमालाय श्रीश्री जानकीरघुनाथाय निवेदयामि|  

धूप अनुवासन ( Dhoop Anuvasan )

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धूप अनुवास न - भगवान जब धूप के सुगन्धित वायु से यानि धूम्र से धूपित अर्थात सुगन्धित आघ्रायन प्रदान किये जाते है उसे अनुवासन कहा जाता है | इसे धूपवासित करना भी कहा जाता है और धूप विलास भी इसे ही कहते हैं | भगवान को धूम्र माध्यम से जब सुगंध दिए जाते हैं तो वही अनुवासन कहा जाता हैं | 

धूप नैवेद्य भोग अर्पण | Dhoopam Naivedyam

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ॐ त्वदीयं वस्तु भगवती तुभ्यमेव समर्पये | गृहाण सम्म्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वरी || ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ उदानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा  ॐ त्वदीयं वस्तु जगदीश्वर तुभ्यमेव समर्पये | गृहाण सम्म्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर || ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ उदानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा  

धूप होम मुद्रा | धूप मुद्रा | Dhoop Hawan Mudra | Dhoop Homa | Dhoop Mudra

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"तर्जन्यगुष्ठयोगाद्धि शान्त्यर्थं जुहुयात तदा |" तंत्रसार अनुसार तर्जनी और अंगुष्ठ को मिलाकर होम करे | इसे धूप मुद्रा भी कहा जाता है, नित्य धूप होम दशांग होम के लिए यह मुद्रा उपयुक्त | 

आरती दीपक के लिए कितनी संख्या में बाती होना जरुरी | How many wicks are required for Aarti lamp

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शास्त्र अनुसार आरती के दीपक में पांच, सात, नौ ऐसे विषम संख्या में ही बाती होना चाहिए | इससे अधिक विशेष पूजा में इक्कीस या अठाइस दीपमाला से आरती करना चाहिए | नित्य तथा गृहस्थ पूजा के लिए और विशेष पूजा में भी पंच दीपक, सप्त दीपक, नव दीपक से आरती करना चाहिए | दीप आराधनाई के लिए तीन, पंच, सप्त संख्या की हर दीपक एक के बाद एक लेकर आरती किया जाता हैं | दक्षिण प्रदेश में दीप आराधनाई आरात्रिकाम प्रचलित हैं विशेष कर, पूर्व में और उत्तर में पंच दीप और सप्त दीप से आरती ज्यादा प्रचलित | पूर्व भारत में दुर्गा पूजा के समय अठाइस दीपमाला से आरती करने का प्रचलन हैं | According to the scriptures, the Aarti lamp should have only odd number of wicks like five, seven, nine. In a more special puja, Aarti should be performed with twenty one or twenty eight lamps. For daily and household puja and also for special puja, Aarti should be performed with Panch Deepak, Sapta Deepak, Nav Deepak. For lamp worship, Aarti is performed with each lamp of three, five and seven numbers one after the other. Deep worship and ...

अष्टांग धूप | Dhunuchi Dhoop | Dhupachi Dhoop | Dhoopam | धुनुची धूप

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अष्टांग धुनुची धूप : कर्पूर, राल, गुग्गुल,अगरु,पीला चन्दन, दालचीनी, केसर, सुगन्धित तेजपत्ता 

माता अन्नपूर्णा पूर्ण धूप निवेदन

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  धुनुची धूप : ॐ एतस्यै वं धूपाय नमः| एते गंध पुष्पे धूपाय नमः| एते गंध पुष्पे एतद अधिपतये देवाय श्री विष्णवे नमः| एते गंध पुष्पे एतद सम्प्रदानाय ॐ श्री श्री भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णा देव्यै नमः| " ॐ वनस्पति रसो दिव्यो गन्धाढ्यः सुमनोहरः |  मया निवेदिता भक्त्या धूपोहयं प्रतिगृह्यताम|| " एष गुग्गल दशांग धूपः ॐ श्री श्री भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णा देव्यै निवेदयामि। ॐ वनस्पति रसो दिव्यो गन्धर्वा सुरभोजनः| मया निवेदिता भक्त्या धूपोहयं प्रतिगृह्यताम|| ॐ भगवत्यै विद्महे माहेश्वर्यै च धीमहि तन्न अन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।। एष धूपः ॐ श्री श्री भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णा देव्यै निवेदयामि|| (10 बार घुमाय) [धूप के बाद अपना हस्त प्रक्षालन करें]