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जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कैसे करें सोमवार की पूजा आरती [ How to do Monday Worship & Aarti ]

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सोमवार भगवान शिव के पूजा करने की लिए जानी जाती है| भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके इस दिन विधिपूर्वक आरती की जाती है| सावन के सोमवार यह और भी महत्यपूर्ण हो जाती है| अगर आप सोमवार की पूजा करना चाहते हैं तो आपको बहुत कुछ ज्यादा करने की जरुरत बिलकुल भी नहीं है बस कुछ सामग्री और कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है| भगवान शिव के पूजा के लिए बहुत कुछ सामग्री की जरुरत नहीं होती है केवल जल और बिल्वपत्र से ही पूजा की जा सकती है पर सबसे अच्छा होता है पंचोपचार पूजा करना उसके लिए पुष्प, बिल्वपत्र, अक्षत, चन्दन, धूप, दीप, कपूर की जरुरत होती है| शिव पूजन में हल्दी, कुंकुम का इस्तेमाल न करें और चन्दन के रूप में केवल सफ़ेद चन्दन का ही इस्तेमाल करें| अगर आप माँ पार्वती की पूजा कर रहें हैं तो उन्हें हल्दी और कुमकुम जरूर चढ़ाय पर शिवलिंग पे नहीं| सबसे पहले शिव पार्वती के छवि रखले किसी चौकी में सफ़ेद कपड़ा बिछाकर या फिर आप शिवलिंग के पूजा भी कर सकते हैं| शिवलिंग की अगर पूजा करें तो उसे ताम्बे की पात्र या पीतल के पात्र में ही रखें नाकि किसी स्टील की पात्र में| सबसे पहले दूध, गंगाजल, पंचामृत से अभ...

पंचोपचार पूजा क्या है? [ Worship with five items ]

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कई सारे उपचार से भगवान के पूजा किया जा सकता है जिसमें पंचोपचार, सप्तोपचार, दशोपचार, द्वादशोपचार, षोड़शोपचार प्रधान है| अनुष्ठानिक पूजा के लिए दशोपचार या षोड़शोपचार में ही पूजा की जाती है पर घर पे ऍम जब साधारण पूजा करते हैं या रोज की जो पूजा करते हैं उसमें पंचोपचार या सप्तोपचार में ही पूजा करते हैं| वैसे अनुष्ठान पूजा में भी अगर षोड़शोपचार पूजा करने की सामर्थ न रहें या फिर सामग्री की अभाव हो तो भी पंचोपचार या सप्तोपचार में पूजा की जा सकती है| आज हम पंचोपचार के बारे में ही जानते हैं की पंचोपचार पूजा में किस किस सामग्री से पूजा की जाती है और कैसे करते हैं| पंचोपचार पूजा के लिए पुष्प, चन्दन, अक्षत, धूप और दीप मूल होती है, इसके साथ आरती के सामग्री| पंचोपचार पूजा में भी हर देवता के लिए अलग अलग हो सकता है| जैसे शिव पूजा के लिए बिल्वपत्र इस्तेमाल किया जाता है तो गणपति पूजा में दूर्वा और नारायण पूजा के लिए तुलसीदल| पंचोपचार पूजा में अलद से भोग या नैवेद्य नहीं चढ़ाय जाते पर अगर कोई चाहें तो भोग लगाकर आरती कर सकते हैं पंचोपचार पूजा के बाद| केवल जल या मिछरी, बतासे की शरबत भी दिए जा सकते हैं| पंच...

ऐसे करें शालिग्राम की आरती पूजन [ How to worship Shaligram ]

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वैसे तो हम किसी खास मौके पर पर नारायण पूजा, सत्यनारयण पूजा तथा शालिग्राम जी की पूजा करते हैं पर रोज पूजा कैसे करें और किस तरह से आरती करें इस बारें में बहुत से समय समझा नहीं पाते हैं| वैसे तो शास्त्रों की माने तो शालिग्राम पूजा करना सबसे आसान और सहज पूजा होता हैं| इसके लिए बहुत सारा इंतजाम या फिर सामग्री जरुरी नहीं होती है| बहुत से जगह पर यह अवधारणा है की शालिग्राम की पूजा सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं पर इसका कोई सही आधार नहीं हैं, महिलाय भी शालिग्राम जी की सेवा कर सकते हैं उनके आरती कर सकते हैं पर हो सके तो शालिग्राम जी के साथ लक्समी माँ के पूजन भी करना चाहिए तभी शालिग्राम पूजा सम्पूर्ण मानी जाती है| शालिग्राम पे कवी भी कुमकुम, लाल चन्दन, लाल पुश नहीं चढ़ाना चाहिए, हमेश हरी चन्दन जिसे पीली चन्दन भी कहते हैं उसे ही तुलसी के पत्ते के साथ लगाना चाहिए, अगर पीली चन्दन न मिले तो श्वेत यानि सफ़ेद चन्दन भी शैली जी की पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं| शालिग्राम जी की पूजा से पहले नहा जरूर ले और अगर हो सके तो घर पे ही तुलसी के पत्ते पानी में डालकर नहाइये| यह सिर्फ धार्मिक कारण से ही नहीं आयुर्...

घर पे ऐसे करें तुलसी पूजा आरती [ How to do tulsi puja aarti at home ]

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आजकल समय के साथ साथ बहुत कुछ बदल चूका है पर आज भी हम हम घर पे आरती और पूजा करना चाहते ही  है, क्योंकि यह हमारे मन को शांति और धीरज प्रदान करता है| इसलिए हम आज भी काम पे जाने से पहले हो या दिनचर्या शुरू करने से पहले ही क्यों न हो आरती या संक्षिप्त पूजा करना जरूर चाहते हैं | पहले पूजा और आरती अनुष्ठान महिलाय ज्यादा पालन करती थी इसके पीछे कारण यह था कि वो घर पे रहकर ही काम करते थे और इन सारे माध्यम से अपने आनंद को पा लेते थे| पर आज जमाना बहुत बदल गया है और सबको काम के लिए या फिर पढ़ाई के लिए बहार जाना ही होता है| यह सब चीजें होते हुए भी मन में पूजा करने कि इच्छा रहती ही है| इसलिए आइये जानते हैं तुलसी पूजा करने कि सबसे सरल विधि| अगर आप घर पे अलग से मंदिर या पूजा घर नहीं बना पाए हैं तो सिर्फ तुलसी पूजा भी कर सकते हैं| और यह पूजा कोई भी कर सकता है| सबसे पहले आप एक तुलसी की पौधे को अपने घर में लगा ले किसी गमले में| गमला मिटटी का हो सकता है, पीतल या चीनी मिटटी का भी| आप कहें तो अपने मनपसंद पौधा ले सकते हैं जैसे राम तुलसी  यानि हरे पत्तेवाले तुलसी या फिर श्याम तुलसी यानि काले पत्त...

धूप पूजा या धूप अर्चन कैसे करें? आइये जान लेते हैं [ How to do dhoop puja ]

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धूप पूजा या अर्चन एक बहुत ही सहज और सरल पूजा है जो कोई भी कर सकता है| पूजा के बहुत से सामग्री अगर आपके पास नहीं है तो यह सबसे सही पूजा मानी जाती है| आजकल हमारे पास समय की कमी के कारण हम बहुत सारे सामग्री के साथ पूजा करने की समय नहीं दे पाते हैं| धूप अर्चन करने के लिए बस आपको धूप, अक्षत, चन्दन और पुष्प की ही जरुरत होती है| धूप पूजा के बाद आप धूप और एक दीप या पंचप्रदीप से आरती कर सकते हैं| सिर्फ रोज के पूजा में ही नहीं बल्कि आप विशेष पूजा के समय भी अगर बहुत सारे सामग्री नहीं संग्रह कर पाते हैं तो धूप पूजा सबसे सही पूजा होती हैं| आजकल नौकरी और पढ़ने के लिए बहुत से लोगों को घर से बाहर रहना होता हैं इसलिए वह मन से चाहते हुए भी पूजा नहीं  कर पाते हैं क्यों कि उतना सामग्री उनके पास नहीं होता है| पर देखा जाये तो भारत में धूप हर जगह पर उपलब्ध होती हैं और आजकल ऑनलाइन भी इसे मंगवाया जा सकता है तो इस लिए यह पूजा आप बहुत ही सहजता से कर सकते हैं| एक बात ध्यान में रखना जरुरी है कि धूप पूजा अगरबत्ती या धूपबत्ती से नहीं होती हैं धुनाची  में धूप गुग्गल जलाकर ही यह पूजा की जा सकती है| ...

पुरी के जगन्नाथ क्षेत्र और आरती [ Puri temple & Jagannath Aarti ]

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ओडिशा राज्य के पुरी में भगवान जगन्नाथ का पवित्र धाम है, जिसे पुराणों में धरती का बैकुण्ठ कहा गया है। यह धाम हिंदू धर्म के चार धाम में से एक है। इसे नीलांचल धाम भी कहा जाता है। यहां भगवान श्री जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने भक्तों को दर्शन देटी है| पूरी क्षेत्र का यह मंदिर करीब 1200 साल पुराना है। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा मनाई जाती है| कहते हैं कि प्रभु जगन्नाथ इस दिन पुरे नगर में भ्रमण करके अपने प्रजा से मिलते हैं जिससे नगरवासिओं को भी प्रभुसे साक्षात मिलने का मौका मिल जाता है| मंदिर की रसोई घर में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं| यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी के चूल्हे पर ही पकाया जाता है| इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है| मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता साथ ही मंदिर के पट बंद होते ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है| मान्यता है कि माता लक्ष्मी रोज खुद इस रसोई घर में श्री जगन्नाथ के ल...

रथ यात्रा पर श्री जगन्नाथ के आरती करें ऐसे [ Rath Yatra Jagannath Aarti ]

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वैसे तो रथ यात्रा ओडिसा में सांसे ज्यादा उल्लास और उत्साह के साथ मनाई जाती है पर पुरे देश भर में ही रथयात्रा को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है| उत्तरी भारत, बंगाल और गुजरात में रथयात्रा अलग अलग तरीके से मनाए जाते हैं| रथ यात्रा में पूजा और आरती के कुछ सरल तरीके ही है पर अगर अप कहें तो अप इसे अपने तरीके से बड़े मात्र में भी कर सकते हैं| यहाँ पर हम बस  सरल तरीके से कैसे और किस तरह पूजा और आरती की जा सकती है इस बारे में ही बात करेंगे| यहाँ पर सबसे पहले एक बात ध्यान में रखना बहुत जरुरी है की अगर आप रथयात्रा के दिन पूजा कर रहे हैं तो सूर्यास्त से पहले ही एकबार आरती जरूर करें क्यों कि सूर्यास्त के बाद रथ नहीं चलाई जाती है| रथयात्रा के पूजा में आप जगन्नाथ जी के पूजा कर सकते हैं या फिर नारायण या शालिग्राम शिला में भी पूजा और आरती कर सकते हैं| नैबेद्य और भोग की बात अपने आप पर निर्भर होती हैं हर जगह और अपने अपने पसंद  के हिसाब से आप उसे चड़ा सकते हैं पर बहुत सारा भोग चढ़ाना जरुरी नहीं होता हैं अगर आप चाहें तो बस एक नारियल चढ़ाकर भी पूजा कर सकते हैं| जगन्नाथ जी की आरती करने से पहले उ...

आरती एक लोक पारम्परिक संस्कार है [ Aarti is a popular ancient traditional rite ]

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वैदिक पूजा आराधना से बहुत पहले से ही आरती की परंपरा चलती आरही है, बाद में जब वैदिक संस्कृति का विकास हुआ तो आरती को भी वैदिक तरह से संस्कृत किये गए| आरती एक लोक पारम्परिक प्रथा है जिसमे तंत्र के परंपरा से भी सम्पर्कित है| यह पर आपको एक बात बताना बहुत जरुरी या की तंत्र को तांत्रिक से सम्पर्कित बिलकुल न करे असल में तंत्र का मतलब है किसी भी प्रकार के लिए जैसे की पूजा करना भी एक क्रिया है जिसमें धूप, दीप, पुष्प, अक्षत हम देयता को निवेदन करते हैं| आराधन पद्धति पहले क्रिया ही था केवल को बाद में मन्त्र से जोड़ा गया है| आम लोगों की आराधना पद्धति को लेकर भी तंत्र यानि आराधना पद्धति| अगम शास्त्रों में इसी तरह के आराधना पद्धतियों के बारे में बतया गया है, जैसे वैष्णव आगम, शैव आगम, शाक्त आगम| आरती आर्यों के आने से पहले से ही आम लोगों के द्वारा पालन किये जानेवाले लौकिक आराधना पद्धति है| इसलिए अगर देखा जाए तो आज भी आरती मूल रूप से धूप और दीप से ही होती हैं, बाकि चीजे उसके समय के साथ साथ और कई समुदाय के प्रभाव से जुड़ते गए| जैसे अगर आज की पंच आरती पद्धति की बात करें तो यह भागवत पूजा पद्धति से कभी प्...

संध्या वंदन और धूप-दीप आरती [ Evening Invocation and Aarti ]

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संध्या वंदन आरती के बारे में जानने से पहले आइये जान लेते हैं संध्या के विषय में कुछ बातें| संध्या मुख्यत दिन के तीन समय को कहते हैं, जैसे सुबह या ब्रह्म मुहूर्त का समय, दोपहर यानि मध्यान्ह का समय और साम यानि साँझ का समय| इन तीन समय में ही ईश्वर के आरती आराधना का समय बताया गया हैं| प्रभाती आरती, मध्यान्ह आरती और संध्या आरती जिसके प्रतीक हैं| जगह जगह पर संध्या वंदन करने की प्रथा अलग अलग से हैं आरती उसके सांसे सरल और सहज माध्यम हैं जो कोई भी कर सकता हैं| इसके लिए कोई विशेष मंत्र या जानकारी की जरुरत नहीं होती है, नाम कीर्तन या फिर आराध्य के जयकार  के साथ ही यह किया जा सकता है| प्राचीन समय से ही दिन के इस तीन समय पर आरती आराधना करने की परंपरा है| जैसे की पहले ही बताय गया है कि संध्या करने की प्रथा अगल अगल होती है उसी तरह हर अलग अलग आराध्य के संध्या या आरती करके नियम भी भिन्न भिन्न हो सकते हैं| संध्या के लिए विशेष पूजा की हर समय जरुरत नहीं होती है बस आचमनी से ही यह कार्य किया जा सकता है और साथ में धूप-डीप से आरती| ताम्बे की आचमनी से जल लेकर आचमन करके आराध्य को पुष्पांजलि प्रदान करन...

रोज की पूजा और आरती [ Daily Worship & Aarti ]

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अगर हम रोज की पूजा की बात करे तो यह बहुत ही साधरण और स्वतंत्र पूजा होती है| हर घर में और हर एक व्यक्ति की अपनी अपनी विशेषता होती है पूजा करने के लिए| कुछ लोग अपने अपने आराध्य के अनुसार भी पूजा आरती करते हैं| जैसे जो श्री राम और माता जानती की करती हैं उनके पूजा पद्धति अलग होती हैं तो जो माँ दुर्गा या भगवान शिव की पूजा करते हैं उनके पद्धति अलग| पर अगर साधारण पद्धति की बात कि जाये तो यह हर पूजा में एक जैसी ही होती है| धूप-दीप से ही ज्यादातर पूजा कि जाती है या फिर गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप के साथ| कुछ लोग अपने भगवान के पसद के अनुसार भोग भी लगते हैं पर वो अपने पसंद के ऊपर निर्भर करता है, पूजा पद्धति में भोग या प्रसाद का होना जरुरी नहीं होता है| पूजा कहें कोई भी हो उसके लिए सबसे पहले पंचोपचार पूजा कि जाती है और फिर धूप-दीप से आरती| मंदिरों में पांच नीराजन पद्धति से आरती की जाती हैं पर घर पे हर समय यह करना संभव नहीं होता किसी विशेष अनुष्ठान में ही पंच उपकरण से आरती की जाती है| प्रतिदिन कमसे काम दोबार आरती की जाती है सुबह के समय और शाम के समय कुछ लोग दोपहर समय भी आरती करते हैं| नित्य आ...

गंगा आरती बनारस [Ganga Aarti Benaras]

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अगर काशी में बाबा विश्वनाथ और माँ अन्नपूर्णा के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तो गंगा घाट पर गंगा आरती देखने से आनंद की प्राप्ति होती है| अगर अपने जीवन में यह आरती नहीं देखा तो एक बहुत बड़ी अनुभव से अनछुए रह जायेंगे यह बात पक्की है| दश्वाशमेध घाट में मूल रूप से गंगा आरती होती हे जिसकी एक हिस्से को अब नए नाम राजेंद्र प्रसाद घाट के नाम से भी जाना जाता है| पहली बार 1991 एक आरती की माध्यम से यह आरती करने की प्रथा की शुरुवात हुई जो आप विश्व भर में श्रेष्ठ गंगा आरती के नाम से जाने जाते हैं| बनारस के पहले हरिद्वार में ही गंगा आरती की जाती थी| बनारस आरती के प्रसिद्धता के कारण आज बहुत से जगह पर ऐसे आरती की आयोजन किये जाते हैं| गंगा सेवा निधि संस्था ने ही गंगा घाट पर आरती सबसे पहले शुरू की थी एक आरती के साथ जो धीरे धीरे तीन आरती पांच आरती होकर अब आरती पुरोहित द्वारा यह आरती सम्पन्न होती है| राजेंद्र प्रसाद घाट पे गंगा सेवा निधि द्वारा आरती में सात पुरोहित और दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति द्वारा आयोजित आरती में पांच पुरोहित आरती करते हैं| आज सिर्फ भारत के अलग अलग प्रदेश से ही ...