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कैसे करें दीपावली लक्ष्मीपूजा के लिए कलश स्थापन [Diwali LakshmiPuja ke liye kalsh]

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अगर दीपावली के दिन लक्ष्मीपूजन करना चाहते हैं और कलश रखकर पूजा करना चाहते हैं तो ताम्बे की नहीं पीतल के कलश ही रखे और उसमे ही श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा करें| पीतल के कलश को सांसे पहले अच्छी तरह से साफ सुथरा कर लीजिये और फिर उसमें सिंदूर और हल्दी के टिका लगाइये| पानी में आप चाहे तो चांदी का एक सिक्का दाल दे या फिर उसमें हल्दी के गांठ डाले| कलश के ऊपर सात आम के पत्ते रखे और एक कटोरी अक्षत रखते हुए उसपर नारियल को रखे और नारियल पर भी सिंदूर और हल्दी का टिका लगाय| कलश जहा प् स्थापन करना चाहते हैं वह पर आचमनी से जल का छिड़काव करें और अक्षत रख दे या फिर अष्ठदल कमल बना ले| बहुत से लोग अपने अपने परिवार या प्रादेशिकता के अनुसार रंगोली भी बनाते हैं| अक्षत को हल्दी में रंगा के भी आप अष्टदल कमल बना सकते हैं| लक्ष्मी पूजा के लिए जो भी कलश आप ले वह पीतल का ही हो नाकि ताम्बे का इस बात का खास खेयाल रखे| कहते हैं पीतल के बर्तन में ही माँ लक्ष्मी अवस्थान करती है|

दीपावली पर सहज पूजन करें धूप पूजा से [Diwali Simple puja with Dhoop]

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दिवाली पर हर कोई अपने घर पे पूजा करना चाहते ही है पर ज्यादातर अपने समय के कमी के कारन सही से पूजा कर नहीं पाते है| हर बार हम दिवाली पर कुछ न कुछ योजना बनाते हैं कि किस तरह से पूजा करें और किस तरह से न करें और बहुत कुछ सामान खरीदकर भी हम लाते हैं पर फिर भी हम सही से पूजा नहीं कर पाते हैं| आज हम एक आसान पूजा पद्धति के बात करेंगे जिससे आप एक ही दिन में पूजा के सामग्री के जुगाड़ के साथ सम्पूर्ण दीपावली पूजन कर सकेंगे| इस पूजा को कहते हैं धूप अर्चन आरती पूजा| धूप पूजा के लिए आपको बहुत से सामग्री की जरुरत बिलकुल भी नहीं होती है बस उसके लिए आपके धूप, धुनुची, आरती दिया, फूल, चन्दन, अक्षत और नारियल की जरुरत होती है| लक्ष्मी नारायण पूजा के  लिए कलश रखना भी जरुरी होती है और धूप पूजा में भी कलश जरूर रखे नारियल, आम के पत्ते और अक्षत के साथ| धूप अर्चन पूजा आरती करने के लिए सबसे पहले आपको एक पाटे पर नए कपड़े बिछाकर श्री लक्ष्मी गणेशजी की मूर्ति को रखना होगा या फिर आप चाहे तो आप फोटो भी रख सकते हैं| बहुत सी जगह पर  लक्ष्मी नारयण के फोटो के साथ भी इसदिन लक्ष्मी पूजन की जाती है| आपके परिवार ...

दीपावली पूजा सामग्री में क्या ले और क्या नहीं [Diwali Puja Samagri]

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अगर आप दीपावली पूजन कर रहे हैं अपने घर पे तो सबसे पहले पूजन सामग्री के इंतजाम करना होगा| दीपावली के पूजन के लिए वैसे तो आजकल पूजा सामग्री स्टोर पे ही सब कुछ मिल जाता है पर अगर आप चाहे तो बहुत कुछ आप अलग अलग जगह से भी ले सकते हैं| आइये जान लेते हैं क्या क्या आप दीपावली पूजन के लिए चाहिए| 1. एक पाटा 2. एक पीतल या ताम्बे की कलश 3. आम के पत्ते 4. नारियल 5. पान 6. सुपारी 7. अक्षत 8. फूल 9. बेलपत्ते 10. दूब 11. चन्दन 12. सिंदूर-कुमकुम 13. हल्दी 14. दीपक 15. धुनुची 16. घी दीपक के लिए या फिर तेल 17. धूप और गुग्गुल 18. आरती के लिए दिया 19. प्रसाद 20. खील बतासा 21. मिठाई 22. मेवा 23. फल 24. पानार्थ जल 25.मूर्ति या फोटो पूजा करने के लिए

दीपावली पर कैसे करें तैयारी [Diwali Preparation]

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इस बार 7 नवंबर को दीपावली है पर उससे पहले कई तरह के तैयारी करनी होती है जो कम से कम दस दिन पहले शुरू करना ही सबसे अच्छा होता है| इस बात को अच्छी तरह से ध्यान में रखें की लक्समी पूजन का मतलब होता है साफ सफाई और आप जितना साफ सफाई अपने घर पे रखेंगे उतना ही आपको लक्ष्मीपूजा करने में मन लगेगा और अच्छे से माँ लक्ष्मी की आरती कर पाएंगे लक्ष्मीपूजा के लिए अपने घर पे अगर आप पेंट न भी करा पाएं तो भी आप अच्छे से साफ सफाई जरूर करें ताकि घर पे कोई धूल या मैल बिलकुल भी न हो| लक्ष्मीपूजा के लिए जो चीस सबसे जायदा जरुरी होती है वह है साफ सफाई| बहुत से लोग पूजा के बर्तन को सही तरह से साफ किये बिना ही पूजा करते हैं जो कि बिलकुल भी सही नहीं है और किसी भी प्रकार के टूटे फूटे बर्तन भी आप इस्तेमाल बिलकुल भी न करें| बिना साफ किये हुए और टूटे बर्तन इस्तेमाल करने से एक प्रकार के नकारात्मकता होती है जो कि बिलकुल भी सही नहीं होती है पूजा के लिए| इसलिए हमेशा कोरिश करें कि पूजा के लिए आप जो भी इस्तेमाल करेंगे वह अच्छे से साफ सुथरा होना बहुत ही जरुरी है| पीतल के बरतम को अगर आपको साफ करने में परेशानी होती है तो ...

कोजागरी या कौमुदी पूर्णिमा में कैसे आरती पूजन [ Sharad Purnima Aarti Puja]

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कोजागरी पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा होती है जिसे कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, कहते हैं इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पूजा आरती करने से सरे मनोकामना पूर्ण हो जाती है| इस पूजा के लिए सबसे जरुरी विषय है भगवान की आरती करना और साथ में ही नारियल का भोग लगाना| बहुत से जगह पर कोजागरी के दिन से ही लक्ष्मीपूजन की तैयारी शुरू हो जाती है और दिवाली के दिन जाकर महापूजन यानि श्री लक्ष्मीनारायण की विशेष आरती से संपन्न हो होती है| नारियल के तरह तरह के पकवान इस दिन भोग में चढ़ाया जाता है| हम सभी जानते हैं की नारियल को श्रीफल कहाँ गया है जिसे लक्ष्मीपूजा में विशेष रूप से चढाई जाती है| इस दिन बहुत से लोग सत्यनारायण के पूजा कथा भी रखते हैं पर इसदिन सबसे अच्छा होता है लक्ष्मीनारायण के एक साथ पूजा करना|  कोजागरी यानि शरद पूर्णिमा के दिन अपने घर को बहुत ही सुन्दर तरीके से रंगोली से सजाना चाहिए और पुरे घर में धूप के सुगंध से सुगन्धित करना चाहिए उसके बाद अगर सम्भब हो सके तो घर के दरवाजे पे दीपक जलाके रखना चाहिए| कोजागरी का मतलब भी यही होता है की रात्रि जागरण| इस दिन आप घाट स्था...

विजय दशमी पर कैसे करें आरती पूजन [Vijaydashmi Puja]

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विजय दशमी के दिन बहुत से लोग वैसे तो सुबह के समय पूजा आरती करते हैं पर एक बात का ध्यान रखें कि विजय दशमी की पूजा के लिए सबसे सही समय होता है सूर्यास्त के एकदम पहले| श्रीराम, सीता या फिर राम दरवार सजाकर पूजा की जा सकती है| दशेरा पूजा में सबसे विशेष होता है आरती करना| विजय दशमी पूजा में मूल रूप से भगवन राम के आरती करके उनसे हर बुराई की अंत करने की प्रार्थना की जाती है साथ में हम अपने अंदर छुपे हुए रावण को भी इस दिन जला सके इसके लिए भी हम प्रार्थन करते हैं| पूजा के लिए दो धुनुची धूप जलाले और साथ में एक कलश भी रख ले नारियल, आम्र पल्लव सहित| धूप भगवान को निवेदन करें और साथ में पहले धूप से और फिर घी के पंचप्रदीप से आरती करें| घी के दीपक से आरती करने का कारन यही यह क्यों के यह विजय उत्सव है और किसी भी विजय उत्सव के दौरान घी के दीपक ही जलाई जाती है पर अगर आप कहें तो सरसो के तेल के दीपक भी जला सकते हैं| आरती के बाद पुरे घर में धूप जरूर करें और साथ ही आरती भी सबको दे| दशेरा मुल रूप से विजय उत्सव हे इसलिए इस दिन पूजा के लिए बहुत ज्याद उपचार की जरुरत नहीं होती है केवल आरती से ही आप पूजा कर स...

दुर्गा विसर्जन या घट विसर्जन कैसे करें [Durga Visarjan Kayse Kare]

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दुर्गा विसर्जन के लिए या घट विसर्जन के लिए सबसे पहले तो माँ की आरती करें और उसके बाद माँ से प्रार्थना करें की इस वर्ष के तरह ही अगले साल भी मातारानी आपके यहाँ जरूर आये साथ ही भूल त्रुटि के लिए भी क्षमा याचना करना चाहिए| क्षमा याचना करने का अर्थ यह होता है की माँ ने हमे उनके सेवा का अवसर दिया पर इस सेवा अवसर के दौरान अगर कोई भूल या त्रुटि हो गई है तो माँ हमे क्षमा करें| आग 'दुर्गा देव्यै क्षमस्व' कहते हुए घट और मूर्ति या तस्वीर को थोड़ा हिला दे और फिर एक बार फिर से आरती करें| इसके बाद सरे चीजे अगल कर ले फूल पत्ती और धूप के राख को नदी या जलाशय में न फेके इससे सब कुछ गन्दा होता है इसे अपने घर के गार्डन या फूल या तुलसी के गमले में भी आप मिटटी में दवा दे सकते हैं और कलश के जल को भी पेड़ो के निचे डाल दे| वैसे तो घट पे छाडे हुए नारियल आप किसी को दान भी कर सकते हैं पर यह पक्रिया नवरात्री में करना सही नहीं होता क्यूंकि यह संकल्प के साथ हम पूजा करते हैं इसलिए इसे जल में प्रबाहित करना ही सबसे सही होता हैं| नवरात्रिपुजा और लक्ष्मी पूजा के नारियल कभी भी खाना नहीं चाहिए बाकि छाडे हुए नारियल...

कोलकाता के कालीघाट मंदिर में कैसे मनाई जाती है नवरात्रि [Kolkata Kalighat Mandir ki Durgapuja]

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कोलकाता के कालीघाट मंदिर में दुर्गापूजा के दौरान माँ काली की पूजा दुर्गारूप में की जाती है| इस दौरान माँ के दरवार में पूजा चढ़ाने देश के कई हिस्सों से लोग आते रहते हैं| कहते हैं जो भी दुर्गापूजा के दौरान माँ काली की दर्शन करते हैं उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है| नवरात्रि के प्रथम दिन से ही यहाँ पूजा शुरू हो जाती है| दस दिन तक चलनेवाले इस पूजा में नवपत्रिका को माँ के पास में स्थापन किया जाता हैं और फिर संपूर्ण दुर्गापूजा के नियम अनुसार पूजा की जाती है| इस दौरान जो भी फूल बेलपत्ते माँ को चढाई जाती है वह मंदिर से बाहर नहीं फेका जाता है दशमी के दिन जब नवपत्रिका गंगा में विसर्जन किया जाता है तभी उसे पानी में फेका जाता है| दुर्गापूजा के दौरान माँ को सुबह आरती की जाती है दोहर को भोग लगाकर आरती की जाती है संध्या के समय आरती की जाती है और रत में शयन के समय भी आरती की जाती है| इस दौरान माँ को मछली और बलि के मांश का भोग चढ़ाया जाता है जिसे सामिष भोग कहा है| दुर्गापूजा महा पूजा है इसलिए यह भोग भी महाभोग के नाम से जाने जाते हैं| देश के दिन यहाँ माँ को सिंदूर चढ़ाकर सुहागिन महिलाय सिंदूर एक द...

कैसे होती है बंगाली दुर्गापूजा में संधिपूजा [Bengali Durgapuja me Sandhipuja]

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वैसे तो नवरात्रि और दुर्गापूजा पुरे भारत में मनाई जाती है पर हम सभी जानते हैं की बंगाल की दुर्गापूजा बहुत ही विशेष पर्व है| बंगाल की दुर्गापूजा की एक विशेष आचार है अष्टमी और नवमी के संधि क्षण में माँ दुर्गा की पूजा चामुंडा रूप में करना| कहाँ जाता है अष्टमी के अंतिम 24 मिनिट और नवमी के शुरू के 24 मिनिट के समय समय माँ ने चामुंडा रूप धारण करके महिषासुर का वध किया था| इसलिए इस क्षण में माँ को शक्ति रूप में पूजा जाता है| इस पूजा के लिए तीन चीज मूल होती है 108 मिटटी के दीपक, 108 लाल कमल के फूल लाल चन्दन के साथ और धूप| कहाँ जाता है इस तरहे से मा चामुंडा की पूजा करके माँ को धन्यवाद किया जाता हे और माँ से यह प्रार्थना की जाती है कि माँ इसी तरह हमारे रक्षा करते रहे| कहाँ जाता है अगर आप पुरे दुर्गापूजा के समय अंश न भी ले पाए तो केवल संधिपूजा में उपस्थित रहने से ही आप को दुर्गापूजा के सम्पूर्ण फल मिल जाते हैं| संधि पूजा में दीप जलाकर धूप और दीप से आरती की मुहूर्त सबसे सुन्दर और आध्यात्मिकमई होता है| इस बार दुर्गापूजा में संधि पूजा 17 अक्टूबर दोपहर 12.03 मिनिट से लेकर 12.51 मिनिट में संपन्न...

कोलकाता के दां परिवार में वैष्णव मत से दुर्गा आराधना [Kolkata Daw Parivar ki DurgaPuja]

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अगर आप को वैष्णव दुर्गा पूजा देखने की इच्छा है तो आप कोलकाता के शिवकृष्ण दां भवन में जरूर एकबार आय| वैसे तो दुर्गापूजा शाक्त पूजा है पर कुछ परिवार में माँ की आराधना सम्पूर्ण वैष्णव मत से अनुष्ठित होती है कोलकाता जोड़ासांको दां परिवार भी इस वैष्णव दुर्गापूजा के लिए प्रसिद्ध है| कहते हैं यहाँ माँ आते हैं गहने पहनने| माँ को सम्पूर्ण सोने की गहने से श्रृंगार करवाई जाती है और यह आज से नहीं पूजा के पहले समय से चली आ रही है| वैष्णव मत में पूजा इसलिए इस पूजा में न तो भोग में कोई सामिष भोग चढाई जाती हैं और न ही कोई बलि यहाँ पर होती है| हर संध्या  धुनुची  धूप के सुगंध के साथ माँ की भव्य आरती की जाती है| यहाँ नवरात्रि की पहली दिन यानि प्रतिपदा से कल्प शुरू की जाती हैं और उसके बाद छठे दिन षष्ठी तिथि को बेल बृक्ष में आरती करके वोधन अनुष्ठान किया जाता है| इस अनुष्ठान को 'बेलबरण' कहा जाता है| सप्तमी के दिन गंगा घाट पे नवपत्रिका स्नान के बाद माँ की मूर्ति के सामने प्राणप्रतिष्ठा और घटस्थापना होती है| अष्टमी के दिन यहाँ माँ की अष्टमी पूजा के साथ साथ धूना पूजा भी आयोजित होती है| इसके ब...

क्या आप नवपत्रिका दुर्गा के बारे में जानते हैं [Nabapatrika Durga]

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नवपत्रिका नौ पेड़ों की समाहार होती है जिसे बंगाली दुर्गापूजा में माँ दुर्गा के प्रतीक के रूप में दुर्गा परीतिमा के दाहिने ओर रखा जाता है| इन नौ पेड़ों में मूल रूप से केले का ही पेड़ होता है पर साथ ही  दारूहलदी, हल्दी, जयंती, बेल, अनार, अशोक के पत्तिया, धान,  मानवृक्ष यानि अमलतास को अपराजिता पुष्प के गुल्म से बांध कर नवपत्रिका तैयार की जाती है| उसे उसके बाद नदी या पवित्र जल के साथ नहलाया जाता है साथ ही कई तरह के अलग अलग जल यानि हल्दी के जल, चन्दन के जल, नारियल के जल, दूध, गंगा जल से स्नान करवाके उनके पारम्परिक पीले और कल किनारेवाले साड़ी पहना कर प्रतिष्ठा की जाती है| दुर्गापूजा के सप्तमी के दिन यह नियम नवपत्रिका स्थापन की जाती है| नवपत्रिका स्थापन से ही दुर्गापूजा की शुरुवात होती है| इसे नवदुर्गा की रूप मानकर ही माँ की पूजा की जाती है| माँ की साथ साथ नवदुर्गा रूप में नवपत्रिका का की पूजा आरती समान रूप से होती है| माँ की विसर्जन के साथ ही नवपत्रिका की भी विसर्जन कर दी जाती है|

काशीश्वरी माँ अन्नपूर्ण की आरती [Varanasi Maa Annapurna Aarti]

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काशी को शिव नगरी कहा जाता है पर काशी माँ अन्नपूर्णा के कृपा से ही चलता है इसलिए काशी को सारे जग से निराला कहा गया  है क्यों के यहाँ माँ अम्बे अन्नपूर्णा रूप में निवास करती हैं और अपने भक्तों की सारि मनोकामनाएं पुरी करती है| माँ अन्नपूर्णा काशीश्वरी है इसलिए उनकी आरती में भी काशीवासी अपने जीवन को खोज लेते हैं| असल में काशी की प्राण है माँ अन्नपूर्णा ही है अगर कशी में बाबा विश्वनाथ मोक्ष देते हैं तो माँ अन्नपूर्णा अन्नदान से जीवन देते हैं| कहते हैं काशी में अगर आप रहते हो तो आपको कभी किसी वास्तु की कमी नहीं होगी अगर आपके पास बहुत से धन न भी हो फिर भी माँ अन्नपूर्णा की कृपा से सब कुछ उन्हें कही किसी को दरिद्रता के सामना नहीं करना होता है| रोज सुबह चार बजे माँ की मंगल आरती की जाती है इसके बाद माँ को भोग लगया जाता है और भोग आरती होती है ग्यारह बजे, काशी में माँ अन्नपूर्णा को सबसे पहल भोग लगाई जाती है तवी दूसरे मंदिर में भोग चढाई जाती है इसलिए जल्दी जल्दी भोग माँ को चढाई जाती है तवी उनके सारे संतान सोपहर का खाना प्रसाद रूप में ले पाएं| जानकारी के लिए आपको बता दे की हर मंदिर में दोपह...

रानी रासमणि परिवार की दुर्गापूजा [Rani Rashmoni House Durgapuja]

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अगर आप कोलकाता आए हैं तो दक्षिणेश्वर मंदिर के बारे में जरुन सुने ही होंगे पर क्या आप जानते हैं दक्षिणेश्वर मंदिर की प्रतिष्ठा करनेवाली रानी रासमणि की परिवार में आज भी मनाई जाती है दुर्गापूजा| रानी रासमणि एक भक्ति परायण नारी हैं जो कि माँ के कार्य के लिए ही अपने सारे जीवन को समर्पित कर दिए थे| उनके परिवार में दुर्गापूजा उनके ससुर प्रीतिराम माड़ के शुरू किया था जो उनके मृत्यु के बाद रानी रासमणि के पति बाबू राजचन्द्र दास आयोजित किया करते थे पर रानी की कोई पुत्र संतान न होने के कारण उनके पति के मृत्यु के बाद से रानी रासमणि ने ही दुर्गापूजा के आयोजन करते हुए उसे सबके लिए खोल दिया अर्थात उनके घर पे हर किसी को पूजा देखने के लिए उन्होंने आमंत्रित किया| कहा जा सकता है कि उसी समय से ही माता के आरती के साथ साथ लोकमाता रानी रासमणि ने अपना सेवा कार्य शुरू कर दी थी| रानी रासमणि परिवार में देवी पूजा शाक्त मत से की जाती है| अगर आप लोग बंगाली दुर्गापूजा के बारे में जानते होंगे तो आप लोगों को पता होगा की यह षष्ठी तिथि से शुरू होती है और दशमी के दिन विसर्जन के साथ सम्पन्न होती है| रानी रासमणि परिवार...

सिर्फ दुर्गाष्टमी पर कैसे करें दुर्गापूजा [Durga Ashtami Durgapuja]

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बहुत से लोग रोज पूजा नहीं कर पाते हैं पर वह भी नवरात्रि पर माँ की आरती पूजा करना चाहते हैं उनके लिए ही मेरा यह ब्लॉग है| सबसे पहले तो एक बात ध्यान में रखे कि जो लोग रोज पूजा नहीं कर पाते हैं नवरात्रि में उन्हें निराश होने की कोई जरुरत नहीं है आप भी नवरात्रि के इस एक दिन पूजा करके ही सम्पूर्ण नवरात्रि के फल परैत कर सकते हैं| नवरात्रि के पूजा केवल कामना के लिए बल्कि माँ के प्रति भक्ति और माँ के प्रीति के लिए किया जाता है इसलिए नवरात्रि पूजन को कहते हैं 'दुर्गा प्रीति कामनाये दुर्गापूजा करिष्यामि'| अगर आप अष्टमी पर दुर्गापूजा कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखे कि सम्पूर्ण पूजा इस दिन ही करना है इस भावना के साथ ही दुर्गापूजा करें| दुर्गापूजा सामग्री के लिए आप पंचा उपचार में ही पूजा कर सकते हैं या फिर सप्त उपचार में इसमें गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, हल्दी-कुमकुम और नैवेद्य प्रधान है| इस दिन अगर आप चाहे तो सम्पूर्ण पूजा करके हवन और आरती करना चाहते हैं| बहुत से लोग खुद हवन कार्य करते हैं पर अगर आपको हवन और वेद मंत्र का ज्ञान हैं तभी हवन कार्य करें वर्ण किसी पंडितजी से ही हवन करा...

बिना कन्या के भी कैसे करें नवमी पर कन्या पूजन? [Navratri par Kanya Pujan]

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अगर नवरात्रि पर कन्या पूजन करना चाहते हैं पर आपको कुमारी कन्याय आपके आस पास नहीं मिल रहे है या फिर कुछ लोग अपने कन्या को पूजन के लिए नहीं भेजना चाहते तो उसमे आप क्या करेंगे| बहुत से लोग मंदिर जेक भोग सबको खिला देते हैं या फिर कुछ लोग भंडारे में दे देते हैं| अगर आप मंदिर में सबको खाना खिलते हैं तो यह बहुत ही अच्छा काम है नवरात्रि के दिनों में आप अगर ऐसा करने में सक्षम है तो यह जरूर करें पर कन्या पूजन भी जरूर करें अगर आपको कन्या न मिले तब भी| एक बात यहाँ पर ध्यान से सुने कि नौ कन्याओं को माता की रूप मानकर ही हम कन्या पूजन करते हैं पर अगर आपको कन्याय पूजन के लिए नहीं मिल रही है तो आप जो जो खाना कन्याओं को खिलाना चाहते हैं उसे प्रसाद बनाने के भावना से ही जरूर बनाय और उसमे एक बात ध्यान रखें कि सेंधा नमक ही उसमे डाला जाये नाकि आम नमक| आप पूरी, सब्जी और हौले प्रसाद के रूप में बना सकते हैं| सबसे पहले माता की पूजा और आरती कर ले उसके बाद माता के सामने ही नोय थाली में यह भोग चढ़े और नोय पानी के पत्र भी रख दे| इसके बाद को कुमारी कन्या मानकर प्रार्थना करें और किसी भी मंत्र का पथ का करें जो आपको ...

हवन किये बिना भी कैसे करें नवरात्र हवन पूजा [Navratri Navmi Hawan Vidhi Puja]

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नवरात्रि के पूजा सम्पन्न होने के बाद हवन करने की विधान है पर आजकल सभी हवन नहीं कर पाते हैं इसका कारण यह है कि उस समय पंडितजी बहुत कम मिल पाते हैं और अगर मिल भी जाये तो वह बहुत समय देकर हवन नहीं करते, साथ ही खुद से हवन करना भी सबको नहीं आता और अगर खुद से हवन करते भी है तो भी उनका मन उतना संतुष्ट नहीं होता| यहाँ पर में आपको इसके एक उपाय बताऊंगा जिससे आप अलग से बिना हवन किये भी नवरात्रि के हवन कर सकते हैं| सबसे पहले आप बाजार से अष्टांग और दशांग धूप लेकर आये अथवा घर पे भी उसे बना ले| बहुत से लोग वैसे तो गे के गोबर से बने कंडे पर ही धूप जलाते हैं पर में हमेशा नारियल के सूखे छिलके यानि खोल के साथ ही धूप जलने की सलहा देता हु क्यों के यह आसानी से मिल जाता है धूप जब की कंडे में मिलावट के कारन कई बार वह जलता भी नहीं है| नारियल के छिलके में चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, अगर जटामांसी, गुग्गुल, केसर, सुगंधबाला तेजपत्ता सभी को समान मात्रा में मिलाकर जलाने से उत्तम धूप बनती है जिसे दशांग धूप कहा जाता है| सबसे पहले कपूर के साथ नारियल के छिलके को जलाय और फिर उसे दशांग और अष्टांग धूप डालकर उसमें शुद...

नवरात्रि 2018

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आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए

क्या आप जानते हैं क्यों मनाय जाती है साल में दोबार नवरात्रि? [kyun Sal me dobar Navratri Manate Hae]

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वैसे तो साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है उसमे से दो गुप्त नवरात्रि होते हैं जो केवल साधक के उपासना के लिए होता है| पर हममें से बहुत लोगों को यह नहीं पता की साल में क्यों दो बार विशेष कर नवरात्रि मनाई जाती है| इसके जो कारण प्रधान रूप से बताई जाती है वह है यह साल के दोबार मौसम परिवर्तन की सुचना देती है| अगर आप थोड़ा ध्यान देंगे तो आपको दिखेगा ही शारदीय नवरात्रि के बाद दिवाली तक सर्दी का मौसम शुरू हो जाता है यानि यह सर्दी आने की सुचना देती है और वसंत नवरात्रि की बात करें तो आप देखेंगे की उसके बाद ही गर्मी का सीजन शुरू हो जाता है| मौसम परिवर्तन में हमें कई तरह के परेशानी का सामना करना होता है इसलिए अगर आप नवरात्रि के समय से ही कुछ तैयारिया करें तो बहुत ही सही और अच्छा रहता है| पहले ज़माने में ऐसे समय परिवर्तन का कोई केलिन्डर या महीना नहीं हुआ करता हैं नवरात्रि से ही इस विषय की जानकारी उस समय मिला करती थी| इसलिए नवरात्रि को ऋतू परिवर्तन का सन्देश बाहक उत्सव भी कहा जाता है| इस बार नवरात्रि मानते समय आप भी इस बात का ध्यान जरूर रखे|

केवल आरती से कैसे करें नवरात्रि आराधना [Navratri Aarti Seva puja]

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अगर आप सिर्फ आरती के माध्यम से ही माँ दुर्गा की आराधन करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको दिन में चार बार आरती करना जरुरी है| हमने आरती के प्रकार के बारे में पहले ही बताया है पर नवरात्रि पर कैसे आरती हम कर सकते हैं आइये उसके बारे में कुछ जानकारी हम यहाँ साझा करते हैं| नवरात्रि में आरती के लिए धूप और दीप बहुत ही अच्छे तरीके से जलाय, आरती के पत्र हमेशा अच्छे से मांज कर और धो कर ही आरती के लिए उपयोग करें| नवरात्रि आरती के लिए मंगल आरती, धूप आरती, पूजा आरती और संध्या आरती जरूर करें| अगर आप चाहते हैं और अगर आप भोग लगा रहे हैं मातारानी को तो भोग आरती भी जरूर करें| केवल आरती से माँ की सेवा करने के लिए माँ के सामने हर बार आरती के समय दो धुनुची धूप जलना बहुत ही जरुरी है हर बार आरती के समय यह करना ही चाहिए| साथ ही अगर आप पंचदीपक या कुछ और दीप जला रहे हैं तो कोशिश करें की उसे घी से ही जलाय पर आगरा आप घी से नहीं जला पा रहे हैं तो केवल सरसो के तेल या तिल के तेल से ही उसे जलाय| अगर आप कपूर से भी आरती करना चाहते हैं तो भी आप कपूर आरती भी कर सकते हैं| हर बार आरती करने के बाद हात जरूर धो ले तभी दूसरे व...

हिंदी माँ दुर्गा आरती आराधना संगीत [Durga Aarti Sangeet]

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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी, तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी। मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को, उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै, रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥ केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी, सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥ कानन कुण्डल शोभित, नासा गज मोती, कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥ शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती, धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे, मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥ ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी, आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों, बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता॥ भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी, मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥ कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती, श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥ श्री अंबे माँ की आरती, जो कोइ नर गावे, कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥

दुर्गा सप्तशती पाठ नवरात्रि पर रोज करना जरुरी है या नहीं? [Navratri Durga Saptashati]

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अगर आप रोज दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहते हैं इस नवरात्रि में तो  कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है| वैसे तो अगर आप रोज दुर्गा सप्तशती पाठ करेंगे तो सबसे अच्छा रहता है पर अगर आप रोज सप्तशती यानि श्री श्री चंडी पुष्तक को नहीं भी पढ़ पाते हैं तो भी आप प्रतिपदा के दिन और नवमी के दिन यह पाठ जरूर करें| नवरात्रि में अगर आप रोज पुस्तक पढ़ पाएंगे तभी नवरात्रि के पहले दिन संकल्प ले नहीं तो पूजा के बाद आरती करें और पाठ करें और फिर से आरती करें| अगर हम संकल्प के अनुसार पाठ नहीं कर पाते हैं तो यह व्रत के नियम का उलंघन होता हैं इसलिए कोशिश करें कि आप कोई संकल्प लिए बिना ही पाठ करें| बहुत से लोग जो केवल अष्टमी को ही दुर्गाष्टमी पूजा करते हैं वह केवल उसी दिन पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ कर सकते हैं पर अगर आप नवरात्रि के पहले दिन से ही घट स्थापना कर रहे हैं और केवल अष्टमी को पाठ करते हैं तो यह सही नहीं होता हर आपको पहले दिन पाठ जरूर करना चाहिए और उसके बाद अगर आप अष्टमी या नवमी के दिन पथ करते हैं तो वह प्रथम दिन ही उस तरह से संकल्प ले ले| अगर आप संकल्प नहीं लेना चाहते हैं तो आप जिस भी दिन दुर्ग...

नवरात्रि पर किस चीज की भोग लगे और किस चीज की नहीं [Navratri ke Bhog Prasad]

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नवरात्रि पर वैसे तो आप तरह तरह से पूजा कर सकते हैं उसमे एक है माँ को भोग अर्पण करके आरती करना या भोग लगाना| जो लोग भोग लगते हैं उनके लिए हम कुछ विषय पर ध्यान रखने के लिए यह बोलेंगे| सबसे पहले यह बात आप लोग जान ले कि भोग के कई सरे प्रकार होते हैं, जैसे - मिठाई भोग, फल भोग, पूरी-सब्जी-हलवा भोग, अन्न भोग, शीतल भोग| आप अपने अपने सामर्थ के अनुसार माँ को भोग लगा सकते हैं| एक बात का ध्यान यहाँ पर विशेष कर रखें कि अगर आप अपने किचेन में मांसाहारी कहना बनाते हैं तो वह पर माता के लिए भोग नहीं बनाना चाहिए क्यों के वह के एक अलग गंध होती हैं जो प्रसाद के शुद्धता के लिए सही नहीं होता हैं| पर अगर आपके पास एक्स्ट्रा गैस या ऐसे ऊपर नहीं है और आप केवल कन्यापूजन के दिन अथवा अष्टमी के दिन माँ को भोग लगाना चाहते हैं तो आपके रसोई को अच्छे से साफ कर ले उसके बाद अपने किचेन में धूप करें और फिर आप अगर बर्तन में माँ के लिए भोग बनाए और उसदिन कुछ और न बनाए अपने किचेन में माँ को चढ़े हुए भोग ही प्रसाद के रूप में ग्रहण कर ले| अगर आप दूसरे जगह पर भी भोग तैयार कर रहे हैं तो भी आपको धूप जलाकर ही भोग बनाना चाहिए, धूप ...

नवरात्रि उत्सव पर माँ दुर्गा की आरती पद्धति [Maa Durga Aarti Paddhati]

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दुर्गापूजा में आरती करने लिए कुछ पद्धति है जो हर पूजा में ही आम होती है पर दुर्गापूजा में नौदिन तक कैसे आप आरती करेंगे और किस पद्धति से यह जानकारी हम यहाँ आपको पूरी तरह से देंगे| दोस्तों आरती करने में अगर आप बस धूप डीप जलाकर ही आरती शुरू कर देंगे तो वह सम्पूर्ण आरती नहीं होती है| आरती करने के लिए सबसे पहले आप पुष्पपत्र में पुष्प चन्दन और अक्षत रखले| अब आचमन करें और तीनबार पुष्पांजलि दे| इसके बाद जल से एक त्रिकोण अंकित करें और उसपर धुनुची और पंचप्रदीप को रखे या फिर आप कुछ अक्षत नीचे रख कर भी धुनुची और पंचप्रदीप रख सकते हैं| धुनुची और पंचप्रदीप अब जला ले और इसे आरती के लिए निवेदन करें| आचमनी से जल छिड़काव करते हुए और गन्धपुष्प से से निवेदन करें| अगर आप कहें तो एक साथ ही निवेदन कर सकते हैं या फिर एक से आरती करने के बाद दूसरे वास्तु को निवेदन कर सकते हैं| आरती के हर वास्तु निवेदन करके और आरती करने के बाद पंचपात्र के जल से अपना हैट जरूर धो लिया करें| धूप दीप निवेदन मंत्र नीचे हैं| धुनुची धूप के लिए - एतस्मै बं धूपाय नमः [तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें] एते गन्धपुष्पे बं धूपाय नम...

दुर्गापूजा पुष्पांजलि [Durgapuja Pushpanjali]

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दुर्गापूजा पुष्पांजलि के लिए आप लाल पुष्प, कमल के फूल और बेलपत्र जरूर रखे| अक्षत और लाल चन्दन भी पुष्पांजलि देने के लिए इस्तेमाल करें| पूजा के अंत में और आरती से पहले पुष्पांजलि दे| बहुत से लोग आरती के बाद पुष्पांजलि देते हैं पर यह सही तरीका नहीं होता है| आरती से पहल तीनबार पुष्पांजलि देकर आरती के बाद प्रणाम मंत्र के साथ प्रणिपात करना जरुरी होती है| आरती समापन करके पहल साष्टांग नमस्कार करना होता है और फिर प्रणाम मन्त्र के साथ प्रणिपात| पुष्पांजलि मन्त्र- ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोहस्तु ते|| एष सचंदन बिल्वपत्र पुष्पांजलि ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः| दुर्गा प्रणाम मंत्र- सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये  त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोहस्तु ते|| सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि| गुणाश्रय गुणमये नारायणि नमोहस्तु ते|| शरणागतदीनार्तपरित्राणपारायणे| सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणि नमोहस्तु ते||

नवरात्रि सहज दुर्गा पूजन विधि [Navratri Puja Vidhi]

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माँ दुर्गा की दस उपचार पूजा के बारे में आज हम जानेंगे| वैसे तो कई सारे उपचार के साथ ही मातारानी की आराधना कर सकते हैं पर अगर आप सबसे अच्छा और श्रेष्ठ पूजा की बात करें तो वह है माँ की दस उपचार  पूजा| किस तरह से इस पूजा में हर तरह के वस्तु और उपकरण माँ दुर्गा को निवेदन की जाती है इस बारे में  हम आज जानकारी लेंगे|  सबसे पहले आप पंचपात्र से जल ले ले और आचमनी से आचमन करें| अब श्री गणेश को स्मरण करें और पुष्प, चन्दन से उनकी पूजा करें| इसके बाद मातारानी के सामने धूप और दीप जलाय| अगर अखंड दीपक आप जलके नहीं भी रख पाते हैं तो भी पूजा के समय घी का दिया जरूर जलाय| आइये अब देखते है निवेदन विधि- दुर्गापूजा मूल मंत्र : ॐ ह्रीं भगवती दुर्गायै नमः/ ॐ ह्रीं भगवती दुर्गा देव्यै नमः 1. अर्घ्य (अक्षत,चन्दनपुष्प, बेलपत्र) बं एतस्मै अर्घ्याय नमः [तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें] एते गन्धपुष्पे बं अर्घ्याय नमः [चन्दन पुष्प लेकर] एतद अर्घ्यं ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः| 2. आचमनीय जल  एतस्मै बं आचमनीयदकाय नमः [तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें] एते गन्धपुष्प...

नवरात्रि और दुर्गापूजा में कैसे करें माँ दुर्गा की धुनुची आरती [Maa Durga Ki Dhunuchi Dhoop Aarti]

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नवरात्रि साल में दोबार हम खासकर मनाते हैं, एक शारदीय नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि| नवरात्रि माँ दुर्गा की आराधना का समय होता है और इस समय हम माँ की मन भर के सेवा और पूजा करना चाहते हैं| पर आजके हमारे भागदौड़ की जीवनशैली में हमारे पास हर समय इतना समय नहीं होता की हम माँ के नौ दिन तक सही सही आराधन कर सके| पर कुछ ऐसे तरीके हैं जिससे हम माँ की पूजा कर सकते हैं और माँ अम्बे की आशीर्वाद भी पा सकते हैं| ऐसे ही एक प्रक्रिया है धूप पूजा अर्थ्यात केवल धूप से ही माँ की पूजा करना और आरती करना| धूप गुगुल माँ को बहुत ही ज्यादा पसंद है यह माना जाता है इसलिए बंगाल में दुर्गापूजा के समय धुनुची आरती की विशेष व्यबस्था कि जाती है, अष्टमी पर धुना पूजा भी धूप पूजा ही है| इस लिए अगर आपके पास पर्याप्त समय नहीं है तो आप धूप पूजा से भी नवरात्रि के नौ दिन की पूजा कर सकते हैं| आइये जान लेते हैं इसे कैसे करे- पीतल के धुनुची में धूप करना या आरती करना ही सबसे उत्तम होता है| मिटटी के धुनुची भी धूप करने के लिए इस्तेमाल करते हैं| नारियल के खोल और अच्छे धूप गुगुल से ही धूप जलाना चाहिए| माँ को स्थापित करके पुष्प, अ...

बिना मूर्ति के कैसे करें नवरात्रि पूजन [Navratri Pujan]

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सबसे पहले एक बात हमे समझना है की भगवान निराकार हैं, भक्त अपने मनके भावना से उन्हें रंगा कर मूर्ति में आकर देते हैं| इसलिए किसी भी पूजा में मूर्ति या फोटों होना बिलकुल भी जरुरी नहीं है| हम अपने भगवान को ध्यान में नहीं अपने सामने देखना ज्यादा पसंद करते हैं इसलिए हम मूर्ति और फोटों पूजा के लिए रखते हैं| आरती करते समय हम अपने भगवान को अपने एकदम सामने अनुभव करना कहते हैं इसलिए हम फोटों अपने ह्रदय मंदिर से फोटो के रूप में सामने रखते हैं| अगर आप बिना मूर्ति की पूजा करना चाहे या फिर आपके पास फोटो भी न हो तो कोई शंका मनमे बिलकुल न रखें आप घाट में भी मातारानी की पूजा कर सकते हैं और यह सम्पूर्ण वैध विधि है| आप नौ दिन तक घट पर ही पूजा आरती कर सकते हैं| सम्पूर्ण पूजा विधि आप घट स्थापना करके ही सम्पूर्ण कर सकते हैं| बहुत से लोग जो बहुत से कारण से बाहर रहते हैं या फिर नौकरी के कारण बाहर रहते हैं पर नवरात्री पर आरती पूजा करना चाहते हैं उनके लिए यह बहुत ही अच्छा होता है कि वह घट स्थापना कर ही आरती करें| आगा आपके पाश कोई छोटी फोटो या फिर माता कि कोई छोटी तस्वीर है तो आप उसे पूजा के लिए रख सकते ह...

नवरात्रि पर साफ सफाई का रखें ध्यान [Clean Your House for Navratri Puja]

अगर आप अपने घर पे नवरात्रि की पूजा और आरती करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने घर की साफ सफाई पर ध्यान देना बहुत ही जरुरी है| साफ सफाई के माध्यम से ही आपके घर के सारे नकारत्मक ऊर्जा बहार निकल जाती है और उसके बाद पूजा आरती करने से घर पे सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है| अगर आप अपने घर पे टूटे फूटे या फिर कोई गन्दी चीजें रखते हैं तो उससे घरपे नकारात्मकता बढ़ती है इसलिए नवरात्रि शुरू होने से पहले ही आप अपने घर ही साफ सफाई पर जरूर ध्यान दे| अपने मंदिर और घर को भी आप अच्छे तरीके से धो ले साथ ही आपके किचेन को भी अच्छे से साफ कर ले, ध्यान में रखे की अगर आप अपने किचेन में नॉन वेग बनाते हैं तो वह पर मातारानी का भोग न बनते अगल से इंडक्शन   या छोटे गैस आप भोग या लाडू बनाय और अगर आप घर पे नहीं बना प् रहें हैं तो मन में किसी भी प्रकार की कोई शंका न रखे आप बाजार में मिलनेवाले लड्डू और फल भी भोग के रूप में मातारानी को चढ़ा सकते हैं| घर के साफ सफाई में एक बात का सबसे जरुरी ध्यान यह रखें की आपके घर पे किसी भी प्रकार की कोई दुर्गन्ध बिलकुल न हो| रोज अपने घर पे पोछा लगे अगर रोज पोछा न लगाना आपक...

नवरात्रि पूजा के लिए जरुरी सामग्री [Navratri Pujan Samagri]

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दुर्गा पूजा आप संक्षिप्त और विस्तृत तरीके से कर सकते हैं जिसमें सामग्री कुछ कम ज्यादा होती है| पहले हम विस्तृत तरीके से पूजा करने के बारे में आलोचना करेंगे और फिर संक्षिप्त पूजा के बारे में| 1. मूर्ति या फोटो, सिंहासन (चौकी, आसन) 2. चुनरी साड़ी और साथ ही श्रृंगार का सारा सामान जिसमें कुमकुम चूड़ी और गण्हा होना जरुरी है 3. पुष्प और पुष्प माला 4. बेलपत्र 5. अक्षत 6. अष्टमी पूजा के लिए अठाइस या 108 कमल के फूल 7. लाल रंग के पुष्प 8. धूप 9. गुग्गुल 10. धुनुची (पीतल की) 11. अखंड दीपक 12. बाती 13. घी या तिल के तेल 14. सरसों के तेल 15. आरती के लिए पंचप्रदीप 16. ताम्बे का पंचपात्र और आचमनी 17. आचमनी पात्र 18. जलपूर्ण शंख 19. नारियल 20. खील 21. बतासा 22. नारियल लड्डू 23. मिठाई 24. फल 25. अरवा चावल का नैवेद्य 26. पान 27. सुपारी 28. लंग 29. कपूर जल 30 . कलश 31.आम के पत्ते 32. कलश के लिए नारियल 33. लाल चन्दन 34. पीला और श्वेत चन्दन 35. अगर हवन करते हैं तो हवन सामग्री    संक्षिप्त दुर्गापूजा सामग्री 1.माता की फोटो 2.हल्दी-कुमकुम 3. कलश 4. आम पत्ता 5. कलश के लिए नारियल 6.अक्षत 7...

नवरात्रि पर माँ को कैसे करें धूप अर्चन [Navratri Dhoop Puja]

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नवरात्रि को नौ रात्रि कहते हैं जो माँ दुर्गा के नौ रूपों के पूजा के लिए जाने जाते हैं| कुछ जगह पर नौ दिन माँ के अलग अलग रूपों के पूजा होती है तो कुछ जगह पर सिर्फ माँ दुर्गा की ही पूजा की जाती है धूप-दीप या षोडश उपचार से| दुर्गा पूजा में धूप करना एक विशेष आचार होती है जो की अगर आप बंगाल या बनारस जायेंगे तो बहुत मात्रा में आपको देखने को मिलेंगे| धूप अर्चन सबसे सहज और सरल पूजन विधि में होता है| जो नौकरी या काम यानि ब्यापार करते हुए भी माता की आराधना कर सकते हैं| धूप अर्चन में कभी भी अगरबत्ती या धूपबत्ती का उपयोग न करें शुद्ध तरीके से धुनुची में धूना, गुग्गुल के साथ धूप जलाय और उसी से माता की आरती करें| धूप पूजन आप बहुत से उपचार के साथ भी कर सकते हैं और केवल धूप से करके आरती भी कर सकते हैं| धूप पूजन के लिए आपको जिन चीजों की आवश्यकता है वह है अक्षत, कुमकुम, हल्दी, चावल, धुनुची, धूना (राल), गुग्गुल, कपूर और आरती के लिए पंचप्रदीप| ध्यान में रखे की जिस दिन आप घट स्थापना कर रहे हैं तो उस दिन केवल धूप पूजन न करके पांच या सात उपचार के साथ मातारानी की पूजा करें और आरती करें | दूसरे दिन से आप...

कैसे और क्यों जलाय नवरात्रि पर अखंड बाती [Navratri Akhand Diya]

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अगर आप नवरात्रि पूजन कर रहे हैं तो उसके लिए लिए अखंड दीपक जलना भी बहुत ही जरुरी है| वैसे आजकल बहुत से लोग पूजा रोज करते हैं पर अखंड जोत नहीं जला पाते है उसके लिए भी क्या कर सकते हैं हम आगे बताएँगे| अभी हम किस तरह से अखंड दीपक जला सकते हैं इस बारे में बात करेंगे| नवरात्रि के समय अगर आप अखंड दीपक जला रहे हैं तो उसके लिए मिटटी या पीतल के दीपक आप ले सकते हैं| अगर आप मिटटी के दीपक लेते हैं तो यह ख्याल रखे कि वह काले न हो और अगर आप पीतल के लेते हैं तो वह भी अचे से साफ करने के बाद ही इस्तेमाल करें| नवरात्रि आरती के लिए या अखंड दीपक जलाने के लिए अच्छा होगा कि आप लाल रुई के बाती ही इस्तेमाल करें| और दीपक को घी से बहुत से लोग जलाते हैं पर नौ दिन तक अगर आप दीप जलाते हैं तो तिल के तेल या सरसों के तेल से ही जलाया करें| दीप के बाती ज्यादा बढ़ाके न रखे इसे बस जलाकर रखे| अखंड दीप जलने का मतलब होता है की आप अपने पूजा के साक्षी रूप में यह दीपक जला रहें है| सबसे पहले आप अक्षत से एक स्वस्तिक बना ले अब उसके ऊपर मिट्टी के, ताम्बे के या पीतल के दीपक रख ले| उसमे बाटी थोड़ा बड़ा ही रखे और और अगर हो सके तो...

कब और कैसे करें नवरात्रि घटस्थापना [Navratri puja 2018 Ghat Sthapna]

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नवरात्रि का प्रधान और मूल कार्य होता है घटस्थापना करके माता की आराधन करना| माना जाता है किमाता नौ दिनों तक इसी घट पे निवास करती है और हमारी पूजा आरती ग्रहण करती है| वैसे तो मूर्ति में भी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है पर घट स्थापना के बिना नवरात्रि पूजा कभी संपन्न नहीं होती है| घट स्थापना और मातारानी की छवि रखकर भी नवरात्रि पूजा आरती कर सकते हैं नौ दिनों तक या फिर केवल घट में भी आप अपने पूजा कर सकते हैं| इसबार की नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू होने वाली है जो कि 18 अक्टूबर नवमी तक रहेगी| 10 तारीख को भी घट यानि कलश स्थापना करके माँ को प्रतिष्ठित किया जायेगा| कलश स्थापना के लिए क्या क्या सामग्री चाहिए निचे देख ले- 1. तांबा,पीतल या चांदी का कलश 2. सिंदूर, हल्दी 3. आप के पत्ते 4. नारियल 5. एक कोटरी अरवा चावल यानि अक्षत 6.गंगाजल, चन्दन का जल, गुलाबजल 7. लाल वस्त्र घट स्थापना के लिए सबसे पहले आप माँ की छवि या अगर आप मूर्ति के साथ पूजा कर रहे हैं तो मूर्ति के सामने अष्टदल कमल बना ले अब कलश यानि घट को गंगाजल, चन्दन जल, गुलाबजल से पूर्ण कर ले| अगर आप चाहे तो इसमें चांदी या तांबे का सिक्...